One more friendship day gone! I remember two years back when I was in college, we had some kind of excitement in us. We used to send e-cards, wake up till 12 to wish each other...Things don't seem to be the same any more. This time also I wished all my friends, they wished me back, but I don't know why I felt that enthusiasm was gone! It made me scribble some lines and and I'm posting them:
हमें याद आता है
हर वो नज़ारा
था दुनिया में हमको सबसे जो प्यारा
वो यारों कि बातों में रातें बिताना
कुछ हसीं सपनों को दिल में सजाना
उनके कन्धों में सर रख के रोना
वो हर अपने दुःख को हसी में उड़ाना
वो lectures में उनकी proxy लगाना
वो majors के time पे movies दिखाना
अजी हमने माना
वो नही थी हक़ीकत
थी इक कहानी, था इक फ़साना
क्यों आज हमको वो हर दोस्त अपना
यूं लगने लगा है पराया पराया
बदली हूँ मैं, या बदला ज़माना ?
है मौसम अभी भी सुहाना सुहाना
फिर भी हमें याद आता है
हर वो नज़ारा
जो था कभी, हमें सबसे प्यारा!