Friday, April 20, 2007

बस इतना सा ही कहती हूँ

हम उखड़े उखड़े बैठे थे
जाने किसकी आवाज़ सुनी
हल्का सा डर, हलकी सी ख़ुशी
यूं दिल में आके बैठ गया
कौन है वो, है क्यों आया
किसके आने से हम, अब यूं इतने बेचैन हुए
हम चौंक गए, हैरान हुए
आवाज़ बहुत ही मीठी थी,
जाने क्यों दिल तक उसने
इक सीधी रेखा खींची थी
शायद वो मेरी माँ होंगी
जिनके क़दमों कि आहट ने हमको ये बतलाया है
"तू ना हो दुःखी मेरी बेटी
हम आज तुझे ये कहते हैं
तेरे ये जो आँसू हैं मेरी आखों से बहते हैं
तेरे हर सुख में ही तो हमने अमृत फल को पाया है"
माँ तेरे इन शब्दों ने जीवन को हर पल सजाया है
तू जहाँ कहीँ भी रहती है, दिल के नजदीक ही होती है
अक्सर मैं इश्वर के घर जाकर पूछा करती हूँ
क्यों दिया तुम्हे ऐसा दिल
जो सब कुछ जाना करता है
मैं आह यहाँ पे भरती हूँ,
तुम दौडी दौडी आती हो
आकर के मेरे कानों में मीठा सा गीत सुनाती हो
हम कृतज्ञ हैं तेरी ममता के,
तेरे तो हम करज़ाई हैं
पर अपनी इस माँ को क्या मैं दूं
बस इतना सा ही कहती हूँ
तुझको तो हर पल याद करूं
बस तेरे लिए फरियाद करूं!
Love you mom!



4 comments:

Jaya said...

This is beautiful and brought tears to my eyes. I miss mom.

Khushboo said...

Thanks Jaya :)

ubuntu said...

this is sooo good khushi , really i too got senti.
I'll pass this to my mom too and will mark this in my shared item.
When ever I read hindi poems I feel an urge to write some my self too but can't write dont have a poetic mindset

Anonymous said...

I happened to discover your blog and reading your soulful poem, brought in a sense of want for my mom to be with me immediately. Very beautifully orchestrated I should say.
Mother - The most wanting person in any of our life she is..Our pleasure is hers and a pleasure in her eyes gives a sense of satisfaction to our nimble heart.